मनोरंजन का गिरता स्तर, वेबसिरीज मनोरंजन के नाम पर फूहड़ता | Sachin Samar


हम जानते हैं मीडिया का प्रमुख कार्य हमें सूचना देना और मनोरंजन करना है लेकिन बीते कुछ सालों से इसमें भारी गिरावट देखने को मिल रही है । आगे के कुछ विडियो में हम सूचना समाज की भाषाई सँस्कृति पर कुछ वीडियो बनाएंगे । आज हम आधुनिक माध्यम सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे वेबसिरिज के भाषाई सँस्कृति को देखेंगे।  उससे पहले हम बता दें कि सोशल मीडिया का मतलब सिर्फ फेसबुक व्हाट्सएप नहीं होता, उसके अंदर हर वह चीज आती है जो ऑनलाइन कम्युनिटी बनाती है जो आभासी समाज का निर्माण करती है ।

साल 1933 में आई फिल्म 'कर्मा' में एक्ट्रेस देविका रानी और हिमांशू राय ने पहला किस सीन फिल्माया था ।इस सीन को फिल्माने में दोनों को काफी समस्या हुई जबकि वे पति पत्नी थे । दूसरी फिल्म 'किसान कन्या' रिलीज से पहले ही फिल्म चर्चा में आ गई थी । कारण था कि फिल्म की कहानी बोल्ड और बेबाक माने जाने वाले मंटो की लिखी एक कहानी पर आधारित थी । फिल्म के एक सीन में अभिनेत्री कंधे पर धान के पुआल को लेकर गाना गाती हुई दिखाई देती है । इस दौरान उसने घाघरा चोली पहनी हुई थी और चलने पर उसके पेट का कुछ हिस्सा दिखाई देता था ।जिससे सेंसर को लगा कि ये सीन भारतीय संस्कृति के खिलाफ है । साथ ही इससे खेतों में काम करने वाली स्त्रियों की छवि खराब होगी, इसलिए इस फिल्म में इस सीन पर लंबी खींचतान चली थी ।

उस दौरान फिल्मों में ऐसी मारोमार नहीं हुआ करती थी। हर हफ्ते एक या दो फिल्म ही पर्दे पर आती थी और उस वक्त हम ग्लोबलाइजे़शन और टेक्नोलॉजी पर  इतने फिदा भी नहीं थे। अब फिल्मी माहौल काफी बदल गया है। कारण सिनेमा हॉल्स का मल्टीप्लेक्स में तब्दील होना ।अब हमें सिर्फ फिल्में नहीं देखनी, डॉल्बी साउंड भी चाहिए, आरामदायक कुर्सियां भी चाहिए, 3डी इफेक्ट के चश्में भी चाहिए। ट्रेंड बदला है और वक्त के साथ भारतीय सिनेमा भी। भारतीय सिनेमा में जबसे ज्यादा बदलाव हुआ है इसके डिजीटल होने में । तकनीक के इस दौर में लोगों को थिएटर के अलावा भी फिल्में देखने का विकल्प मिला, पिछले कुछ सालों से वेब सीरीज़ का चलन शुरू हुआ है।

वेबसीरीज एपिसोड स्क्रिप्टेड या अन-स्क्रिप्टेड ऑनलाइन वीडियो की सीरीज होती है, आमतौर पर एपिसोड के रूप में इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न प्लेटफार्मों पर जारी किया जाता है । वेबसिरीज की शुरुआत 90 दशक के अंत में उभरा और 2000 की शुरुआत में लोकप्रिय होने लगा ।  सामान्य तौर पर, वेबसीरीज को लैपटॉप, टैबलेट और स्मार्टफ़ोन सहित कई प्लेटफार्मों और उपकरणों पर देखा जा सकता है।
। पिछले दिनों कई वेब सीरीज ऐसी आईं जिनमें भयानक हिंसा और अश्लील दृश्यों की भरमार दिखाई देती है। कहानी की मांग से इतर कई निर्माताओं ने जबरदस्ती हिंसा और यौनिक दृष्यों को पेश किया। माना गया कि ये सब लोकप्रियता हासिल करने के उद्देश्य से दिखाया गया।

भारत की बात करें तो यहां वेब सीरीज़ का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। करीब 8-10 साल पहले ही वेब सीरीज़ की शुरुआत मानी जा सकती है यह 2014 से वेब सीरीज़ ट्रेंड में आना शुरू हुआ और युवा दर्शकों में तेजी से लोकप्रिय हुआ । 2014 में रिलीज़ हुई वेब सीरीज़ परमानेंट रूममेट्स को दर्शकों ने काफी पसंद किया। वहीं इसके बाद बेक्ड, टीवीएफ पिक्चर्स, मैन्स वर्ल्ड, बैंग बाजा बारात, आएशा, चाइनीज भसड़, टीवीएफ बैचेलर्स, टीवीएफ ट्रिपलिंग, ऑफिशियल चुकियागिरी, सेक्रेड गेम्स, मिर्जापुर और हॉस्टेज जैसी वेब सीरीज़ को लोगों ने खूब सराहा। इसकी लोकप्रियता का कारण कंटेंट का अलग हटकर रहना माना जाता है ।
 आम भारतीय फिल्मों में इन दिनों बस रीमेक या फिल्मों के सीक्वल पर ही ज़ोर दिया जा रहा है। ओरिज़नल कॉन्टेंट तो बेहद कम ही परोसा जा रहा है। ऐसे में वेबसीरीज के नाम पर कुछ अलग मैटेरियल पेश करने से भारतीय दर्शक इनकी ओर आकर्षित हुए हैं ।

लेकिन अगर हम वेबसीरीज़ के मैटेरियल की बात करें तो उनमें सेक्स, गालियां, खूनखराबा आदि विषयों पर ज़्यादा नहीं बल्कि पूरा फोकस किया जाता है। आल्ट बालाजी, उल्लू , एमएक्स प्लेयर आदि तो अपनी कहानी में सेक्स नहीं डालते बल्कि सेक्स में कहानी डाल देते हैं
इसके अलावा कुछ वेबसीरीज़ में महिलाओं पर आपत्तिजनक गालियों के लिए यहां बीप भी नहीं किया जाता है, ये गालियां खुलकर दी जाती हैं। ऐसे में युवाओं पर इसका असर भी दिख रहा है। 
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