धर्म, जाति, वर्ग, पक्ष, विपक्ष तमाम चीजों से इतर मैं कभी कभी सोचता हूँ कि किसी व्यक्ति के अंदर इतनी कट्टरता क्यों होती है। वह अपने बेहूदे विचारधारा के आग को क्यों फैलाना चाहता है जिससे लोगों में द्वेष की भावना उत्पन्न होती है, आखिर उस नकारात्मक व्यक्ति के अंदर किस हार्मोन्स का अभाव है या अधिकता है?
2014 के बाद से मैंने महसूस किया कि देश का हर व्यक्ति सरकारी फैसलों से प्रभावित हुआ चाहे वह उनके ( जनता ) हित में हो या अहित में, सरकार ने बड़े रणनीतिबद्ध तरीके से योजनाओं को लागू किया, बड़ी चालाकी से आम जनता को साधा, चालाकी इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इतना वक्त हो गया जो सरकार ने कहा था उसके विपरीत ही उसकी कार्यशैली है..!
जारी..
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