मणि भौमिक लेज़र प्रौद्योगिकी के अगुआओं में से एक हैं जिन्होंने आंख की करेक्टिव लेसिक शल्य चिकित्सा को संभव बनाया। उनकी किताब 'कोड नेम गॉड' दर्शाती है कि इंसानों के लिए अध्यात्म और विज्ञान दोनों कैसे ज़रूरी हैं और इन दोनों के बीच किस प्रकार सही संतुलन बनाए रखा जा सकता है। महात्मा गांधी के शिविर में एक बाल कार्यकर्ता की तरह रह चुके लेखक ने फटेहाल से खुशहाल बनने के अपने सफ़र का विस्तारपूर्वक विवरण दिया है।
'कोड नेम गॉड' ईश्वर-बोध का सहज और आसानी से समझ में आने वाला वैज्ञानिक तरीक़ा उपलब्ध कराती है।
"लेखक की निजी यात्रा... पूर्व आध्यात्मिकता और पश्चिमी विज्ञान के बीच आम आधार ढूंढने की इस कोशिश को बड़ी ही वाक्पटुता से कहा गया है जो पढ़ने को बहुत मोहक बना देता है।"
फ्रिट्ज़ोफ़ कापरा, बेस्ट सेलिंग द ताओ ऑफ़ फ़िज़िक्स के लेखक
"इस किताब में पदार्थ और आत्मा का मेल पेश किया गया है जो प्रेम करने और निष्पक्ष रहने की हमारी क्षमता की ओर लंबे समय से ज़रूरी जान पड़ते क्रांतिकारी कदम को उठाने में मदद करता है।"
- लॉरा (मिसेज़ एल्डस) हक्स्ले, चिल्ड्रनः अवर अल्टीमेट इंवेस्टमेंट की संस्थापिका
Writer & Publication
Mani Bhaumik
पेंगुइन बुक्स इंडिया
English 2006
Hindi 2008
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