File Photo |
आषाढ़ माह (June/July) में साइकिल से बाजरे (Millets) का बोझा ढोकर खेत से घर लाना और उसके फल को हँसिया (Sickle) से काटकर धूप में सूखने के लिए रख देना होता था। फिर पूरे बाजरे के बचे डंठल (Stipe) को गाय के चारा के लिए चारा मशीन से काटकर तैयार करने के साथ दिन की शुरुआत होती थी। बाजरे के फली (Millet Pods) को सूख जाने के बाद उसे पीटकर साफ किया जाता फिर चक्की में पिसवाकर आटे से रोटी बनाई जाती थी। अब गेंहू (Wheat) के पर्याप्त उत्पादन के बाद से मक्के और बाजरे की रोटी बनना कम हो गया है। मोटे अनाज को पोषण तत्त्वों (Nutrients) से भरपूर अनाज माना जाता है। बीते सितम्बर माह में 95 वर्षीय मेरे दादा जी की मृत्यु हो गयी, वे बताया करते थे कि अपने बचपन के दिनों में बाजरे, मक्के की रोटी, अरहर के चूनी की रोटी (Lime Bread), शाम को जौ और चने की सत्तू और राब के शरबत (Molasses Juice) का सेवन करते थे। दादा जी पूरी तरह फिट थे उन्हें अपने जीवन में कभी डॉक्टर के यहाँ नहीं जाना पड़ा था। आज जिस Super Food की चर्चा पूरे विश्व में हो रही है उस Super Food के सेवन से इंसान Super Man बन सकता है। हमारे भारतवर्ष के लिए Millets Super Food New नहीं है यह कई वर्षों से Super Food रहा है। अगर इतिहास की बात करें तो इन अनाजों के प्रमाण सबसे पहले सिंधु सभ्यता में पाए गए और ये भोजन के लिये उगाए गए पहले पौधों में से थे।
बाजरी/बाजरा (Millet) |
आज जब शहरों में केमिकलयुक्त Millets Product बड़े चाव से खरीदे और खाए जा रहे हैं वहीं हम गाँव में मिट्टी के चूल्हे पर लोहे के तवे और उपले की आग पर सेंक कर पकाई जाने वाली मक्के और बाजरे की रोटी और बथुआ के साग खाकर बड़े हुए। इसलिए हमारे लिए भी यह New Super Food नहीं है। मैंने महसूस किया और दादा जी के अनुसार भी मोटे अनाज शुरू से ही Super Food रहे हैं, बहुत देर से इसकी ब्रांडिंग की जा रही है। हालांकि मोटे अनाजों के प्रति एक आम धारणा बनी हुई है कि मोटा अनाज ‘गरीब व्यक्ति के भोजन’ के रूप में देखा जाता है। दिल्ली में महिपाल जी का खाना खाकर पिछले साढ़े तीन महीने में आठ किलो वजन कम हो चुका है। इसलिए मुझे तो यही समझ आता है पोषणयुक्त और स्वस्थ्य खाने का स्रोत गाँव ही है। खैर! बड़े शहरों के अपने फायदे और नुकसान हैं। अगर हम बात करें वैश्विक परिदृश्य की तो आज भारत ने मोटे अनाज का अंतर्राष्ट्रीयकरण किया है जो कि बहुत ही प्रशंसनीय है। उम्मीद है अब यह गरीब व्यक्ति के भोजन के पहचान को बदल पायेगा।
मक्का (Maize) |
वर्तमान में भारत में उगाई जाने वाली तीन प्रमुख मोटे अनाजों में ज्वार (Sorghum), बाजरा (Pearl Millet) और रागी (Finger Millet) शामिल हैं। मोटे अनाज की खासियत है "इस फसल की सिंचाई के लिये अधिक जल की आवश्यकता नहीं होती है। प्रतिकूल जलवायु, कीटों एवं बीमारियों के लिये अधिक प्रतिरोधी है। इसमें आहार युक्त फाइबर (Dietary Fibre) भरपूर मात्रा में विद्यमान होता है, इस पोषक अनाज में लोहा, फोलेट (Folate), कैल्शियम, ज़स्ता, मैग्नीशियम, फास्फोरस, तांबा, विटामिन एवं एंटीऑक्सिडेंट सहित अन्य कई पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये पोषक तत्त्व न केवल बच्चों के स्वस्थ विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, बल्कि वयस्कों में हृदय रोग और मधुमेह के जोखिम को कम करने में भी सहायक होते हैं। मोटे अनाजों को सूखे, कम उपजाऊ, पहाड़ी, आदिवासी और वर्षा आश्रित क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। इसके अलावा यह फसल मिट्टी की पोषकता के लिये भी अच्छा होता है तथा इसे तैयार होने में लगने वाली समयावधि एवं फसल लागत दोनों ही कम हैं। इन विशेषताओं के साथ मोटे अनाज के उत्पादन के लिये कम निवेश की आवश्यकता होती है।"
महत्वपूर्ण तथ्य :
वर्ष 2023 में अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (International Year of Millets- IYM) मनाने के भारत के प्रस्ताव को वर्ष 2018 में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा अनुमोदित किया गया था तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है। इसे संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव द्वारा अपनाया गया और इसका नेतृत्व भारत ने किया तथा 70 से अधिक देशों ने इसका समर्थन किया।
Sachin Yadav (ADPR IIMC, New Delhi)
Assignment By : Ms. Shivani Khanna
Tags / Keywords - Millets, Super Food, Nutrition, and Health.
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