Living Life Is An Art | जीवन जीना एक कला है।

यह ब्लॉग राष्ट्रीय अखबार जनसता में प्रकाशित हुआ है। 

जीवन की शुरुआत सीखने और सीखने से से शुरू होता है जिसे बच्चा माता पिता और परिवार से सीखता है । मनुष्य जब तक जीता है वह हर दिन नई बातें सीखता है, और हर नई सीख हमें एक नई दिशा दिखाती है । हर व्यक्ति अपने आप में एक अनूठा फनकार है, और कलाकार होता है जो वह अपने जीवन को दुनियाँ के कैनवास पर उकेरते है । सबकी कृति एकदम सबसे अलग मौलिक और अपने पीछे दुनियाँ में एक अलग छाप छोड़ जाता है । कई लोग है जो अपना पूरा जीवन दुसरो के जीवन में फूल खिलाने में लगा देते है और उनका एक ही धुन रहता है इस दुनियाँ में कोई दुखियारा नहीं रहे। यह है जीवन की यह यात्रा जो सीधी और सरल नहीं है इसमें दुख हैं, तकलीफें हैं, संघर्ष और परीक्षाएं भी हैं। ऐसे में स्वयं को हर स्थिति-परिस्थिति में, माहौल-हालात में सजग एवं संतुलित रखना वास्तव में एक कला है। इसीलिए कहते है कि जीवन जीना भी एक कला है , जिसमे विरले ही अपनी प्रतिभा के साथ न्याय कर पाते है। जो न्याय कर पाते है वही सिकंदर कहलाते है। जन्म लेना हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन इस जीवन को सुंदर बनाना हमारे हाथ में है और जब सुख की यह संभावना हमारे हाथ में है तो फिर यह दुख कैसा ? यह शिकायत कैसी ? हम क्यों भाग्य को कोसें और दूसरे को दोष दें ? जब सपने हमारे हैं तो कोशिशें भी हमारी होनी चाहिए। जब पहुंचना हमें है तो यात्रा भी हमारी ही होनी चाहिए। यह जीवन ईश्वर की तरफ से एक अवसर है,इसलिए यह जीवन जीना एक कला है मौका है ।

जीवन में उत्साह और उत्सव होना जरूरी है। ईश्वर ने मनुष्य को ही खुलकर हंसने, उत्सव मनाने, मनोरंजन करने और खेलने की योग्यता दी है। यही कारण है कि सभी हिंदू त्यौहारऔर संस्कारों में संयमित रहकर नृत्य, संगीत और उत्सव से जीवन में सकारात्मकता, मिलनसारिता और अनुभवों का विस्तार होता है। अगर आपको लगता है कि आप जीवन का आनंद नहीं ले पा रहे हैं या फिर आप अपने जीवन से खुश नहीं हैं तो इसका मतलब है कि आपको जीवन जीने की कला नहीं आती। वास्तव में जीवन जीना भी एक कला है ये कला हर इंसान को नहीं आती, कुछ ही लोग होते हैं जो कि कला को सीख पाते हैं। हम बचपन से बहुत ही चीजें सीखने पर जोर देते हैं लेकिन सबसे जरूरी कला को सीखना इस बीच भूल ही जाते हैं ये ही जीवन जीने की कला है। हर चीज का ज्ञान इंसान को इसी धरती पर आकर ही होता है तो अगर आपको भी जीवन जीने की कला नहीं आती है तो ज्यादा परेशान होने ही जरूरत नहीं है। कोई काम तनावपूर्ण नही होता, यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप अपने शरीर, मस्तिष्क और भावना को कैसे बनाते है जिससे वह तनाव पूर्ण न लगे। अपनी ज़िन्दगी के मकसद को अपनी जरूरत बना लो, फिर वह तुमसे ज्यादा दूर नही होगी। लोग बाहर से अपनी ज़िन्दगी को पूर्ण करने की कोशिश करते है लेकिन असल में जीवन की गुणवत्ता हमारे अंदर जी जिन्दगी पर आधारित होती है। ज़िम्मेदारी का अर्थ है कि आप अपने जीवन में किसी भी स्थिति का सामना कर सकते हैं। दो लोग एक जैसे नही होते, आप लोगों को समान नहीं कर सकते, आप केवल उन्हें समान अवसर दे सकते हैं। झुंझलाहट, निराशा और अवसाद का मतलब है कि आप स्वयं के विरुद्ध काम कर रहे हैं। समस्याओं में फंसे रहने से बहाने हमेशा नजर आते हैं और अगर आप समाधान खोजते हैं तो रास्ते निकल ही आते है।


जनसत्ता में प्रकाशित 


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2 comments:

  1. सचिन जी आपने बहुत अच्छा लिखा है

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