आज मीडिया एक बड़े विश्वव्यापी उद्योग में बदल गया है। अगर कोई उद्योग विश्वव्यापी होता है तो निश्चित ही उसके सरोकार और हित भी विश्वव्यापी हो जाते हैं। इसमें लगी उपग्रह, उच्च प्रौद्योगिकी इतनी महंगी है कि उस पर लगने वाली पूंजी की कल्पना सामान्य आदमी के लिए संभव नहीं है। इसलिए मात्र अभिव्यक्ति का माध्यम आदि आदर्श बातों से इसे समझा नहीं जा सकता। दूसरे अर्थों में आज मीडिया पर बिना उसकी सामाजिक पृष्ठभूमि के बात संभव नहीं है। आज वह मात्र सूचना देने और घटनाओं का विश्लेषण करने का काम नहीं कर रहा है। बल्कि समझ और रुचि को दिशा देने और बदलने के खतरनाक काम में लगा है। यह मात्र राजनीतिक विचारधाराओं के प्रचार तक सीमित नहीं रह गया है...
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